ज्ञानेश्वरी / अध्याय सतरावा / संत ज्ञानेश्वर
ओव्या १ ते ३३
॥ ॐ श्री परमात्मने नमः ॥
॥ अथ श्रीमद्भगवद्गीता ॥
। अथ सप्तदशोऽध्यायः - अध्याय सतरावा |।
। श्रद्धात्रयविभागयोगः।
विश्वविकासित मुद्रा | जया सोडी तुझी योगमुद्रा |
तया नमोजी गणेंद्रा | श्रीगुरुराया ॥ १ ॥
॥ अथ श्रीमद्भगवद्गीता ॥
। अथ सप्तदशोऽध्यायः - अध्याय सतरावा |।
। श्रद्धात्रयविभागयोगः।
विश्वविकासित मुद्रा | जया सोडी तुझी योगमुद्रा |
तया नमोजी गणेंद्रा | श्रीगुरुराया ॥ १ ॥
विश्वविकासित
मुद्रा= विश्वाचा विकास(विस्तार) झाला आहे असा भासात्मक अनुभव (स्वप्न)
जया सोडी तुझी
योगमुद्रा = ज्या मुळे यातून सुटका होते ती तुझी योग निद्रा (जाणीव
नेणीवे पलीकडील जाणीवेचा स्तर )प्रदान कर्ता
त्रिगुणत्रिपुरीं वेढिला | जीवत्वदुर्गीं आडिला |
तो आत्मशंभूनें सोडविला | तुझिया स्मृती ॥ २ ॥
त्रिगुण=सत्व राज तम गुण
आत्मशंभूनें=आत्म रूप शंभू स
म्हणौनि शिवेंसीं कांटाळा | गुरुत्वें तूंचि आगळा |
तऱ्ही हळु मायाजळा- | माजीं तारूनि ॥ ३ ॥
कांटाळा=तुलना हळु=(इतका)हलका की
जे तुझ्याविखीं मूढ | तयांलागीं तूं वक्रतुंड |
ज्ञानियांसी तरी अखंड | उजूचि आहासी ॥ ४ ॥
मूढ=अज्ञानी उजूचि=सरळ स्पष्ट
दैविकी दिठी पाहतां सानी | तऱ्ही मीलनोन्मीलनीं |
उत्पत्ति प्रळयो दोन्ही | लीलाचि करिसी ॥ ५ ॥
सानी=लहानशी
प्रवृत्तिकर्णाच्या चाळीं | उठली मदगंधानिळीं |
पूजीजसी नीलोत्पलीं | जीवभृंगांच्या ॥ ६ ॥
चाळीं=चलन हालचाल गंधानिळीं=गंधित वायू
नीलोत्पलीं=नील कमळ (रुपी
पाठीं निवृत्तिकर्णताळें | आहाळली ते पूजा विधुळे |
तेव्हां मिरविसी मोकळें | आंगाचें लेणें ॥ ७ ॥
आहाळली=मांडली सजवली
(अहाळणे चा विखुरणे
अर्थ घेतला तर अर्थ लागत नाही )
विधुळे =उधळे विस्कटने
वामांगीचा लास्यविलासु | जो हा जगद्रूप आभासु |
तो तांडवमिसें कळासु | दाविसी तूं ॥ ८ ॥
वामांगीचा-पत्नी अर्धांगी (माया ) लास्य=नृत्य
कळासु=कौशल्य
हें असो विस्मो दातारा | तूं होसी जयाचा सोयरा |
सोइरिकेचिया व्यवहारा | मुकेचि तो ॥ ९ ॥
फेडितां बंधनाचा ठावो | तूं जगद्बंधु ऐसा भावो |
धरूं वोळगे उवावो | तुझाचि आंगीं ॥ १० ॥
वोळगे = सेवा
उवावो= पसरणे आनंदित होणे
तंव दुजयाचेनि नांवें तया | देहही नुरेचि पैं देवराया |
जेणें तूं आपणपयां | केलासि दुजा ॥ ११ ॥
तूंतें करूनि पुढें | जे उपायें घेती दवडे |
तयां ठासी बहुवें पाडें | मागांचि तूं ॥ १२ ॥
जो ध्यानें सूये मानसीं | तयालागीं नाहीं तूं त्याचे देशीं |
ध्यानही विसरे तेणेंसीं | वालभ तुज ॥ १३ ॥
तूतें सिद्धचि जो नेणे | तो नांदे सर्वज्ञपणें |
वेदांही येवढें बोलणें | नेघसी कानीं ॥ १४ ॥
मौन गा तुझें राशिनांव | आतां स्तोत्रीं कें बांधों हाव |
दिसती तेतुली माव | भजों काई ॥ १५ ॥
दैविकें सेवकु हों पाहों | तरी भेदितां द्रोहोचि लाहों |
म्हणौनि आतां कांहीं नोहों | तुजलागीं जी ॥ १६ ॥
जैं सर्वथा सर्वही नोहिजे | तैं अद्वया तूतें लाहिजे |
हें जाणें मी वर्म तुझें | आराध्य लिंगा ॥ १७ ॥
तरी नुरोनि वेगळेंपण | रसीं भजिन्नलें लवण |
तैसें नमन माझें जाण | बहु काय बोलों ॥ १८ ॥
आतां रिता कुंभ समुद्रीं रिगे | तो उचंबळत भरोनि निगे |
कां दशीं दीपसंगें | दीपुचि होय ॥ १९ ॥
दशीं=वात
तैसा तुझिया प्रणितीं | मी पूर्णु जाहलों श्रीनिवृत्ती |
आतां आणीन व्यक्तीं | गीतार्थु तो ॥ २० ॥
प्रणितीं= मार्गदर्शन
तरी षोडशाध्यायशेखीं | तिये समाप्तीच्या श्लोकीं |
जो ऐसा निर्णयो निष्टंकीं | ठेविला देवें ॥ २१ ॥
निष्टंकीं=स्पष्ट
जे कृत्याकृत्यव्यवस्था | अनुष्ठावया पार्था |
शास्त्रचि एक सर्वथा | प्रमाण तुज ॥ २२ ॥
तेथ अर्जुन मानसें | म्हणे हें ऐसें कैसें |
जे शास्त्रेंवीण नसे | सुटिका कर्मा ॥ २३ ॥
तरी तक्षकाची फडे | ठाकोनि कैं तो मणि काढे |
कैं नाकींचा केशु जोडे | सिंहाचिये ? ॥ २४ ॥
मग तेणें तो वोंविजे | तरीच लेणें पाविजे |
एऱ्हवीं काय असिजे | रिक्तकंठीं ? ॥ २५ ॥
तैसी शास्त्रांची मोकळी | यां कैं कोण पां वेंटाळी |
एकवाक्यतेच्या फळीं | पैसिजे कैं ? ॥ २६ ॥
मोकळी = मतभेद वेंटाळी=आकलन करुन घेणे
पैसिजे=प्रवेश करणे
जालयाही एकवाक्यता | कां लाभें वेळु अनुष्ठितां |
कैंचा पैसारु जीविता | येतुलालिया ॥ २७ ॥
पैसारु=विस्तार
आणि शास्त्रें अर्थें देशें काळें | या चहूंही जें एकफळे |
तो उपावो कें मिळे | आघवयांसी ? ॥ २८ ॥
म्हणौनि शास्त्राचें घडतें | नोहें प्रकारें बहुतें |
तरी मुर्खा मुमुक्षां येथें | काय गति पां ? ॥ २९ ॥
घडतें==निर्णय
हा पुसावया अभिप्रावो | जो अर्जुन करी प्रस्तावो |
तो सतराविया ठावो | अध्याया येथ ॥ ३० ॥
तरी सर्वविषयीं वितृष्णु | जो सकळकळीं प्रवीणु |
कृष्णाही नवल कृष्णु | अर्जुनत्वें जो ॥ ३१ ॥
वितृष्णु= तृष्णा नसलेला कृष्णु=आकर्षित करणरा
शौर्या जोडला आधारु | जो सोमवंशाचा शृंगारु |
सुखादि उपकारु | जयाची लीला ॥ ३२ ॥
जो प्रज्ञेचा प्रियोत्तमु | ब्रह्मविद्येचा विश्रामु |
सहचरु मनोधर्मु | देवाचा जो ॥ ३३ ॥
by dr. vikrant tikone