ज्ञानेश्वरी / अध्याय
सोळावा / संत ज्ञानेश्वर
ओव्या ३७८ ते ४३२
आत्मसंभाविताः स्तब्धा धनमानमदान्विताः।
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम् ॥ १७॥
तैसें आपणयां आपण | मानितां महंतपण |
फुगती असाधारण | गर्वें तेणें ॥ ३७८ ॥
मग लवों नेणती कैसे | आटिवा लोहाचे खांब जैसे |
कां उधवले आकाशें | शिळाराशी ॥ ३७९ ॥
उधवले = वर
येणे शिळाराशी=पर्वत, डोंगर
तैसें आपुलिये बरवे | आपणचि रिझतां जीवें |
तृणाहीहूनि आघवें | मानिती नीच ॥ ३८० ॥
बरवे=चांगले म्हणणारे(स्तुती)
वरी धनाचिया मदिरा | माजूनि धनुर्धरा |
कृत्याकृत्यविचारा | सवतें केलें ॥ ३८१ ॥
जया आंगीं आयती ऐसी | तेथ यज्ञाची गोठी कायसी |
तरी काय काय पिसीं | न करिती गा ? ॥ ३८२ ॥
आयती=सामग्री
म्हणौनि कोणे एके वेळे | मौढ्यमद्याचेनि बळें |
यागाचींही टवाळें | आदरिती ॥ ३८३ ॥
ना कुंड मंडप वेदी | ना उचित साधनसमृद्धी |
आणि तयांसी तंव विधी | द्वंद्वचि सदा ॥ ३८४ ॥
द्वंद्वचि=वैर
देवां ब्राह्मणांचेनि नांवें | आडवारेनहि नोहावें |
ऐसें आथी तेथ यावें | लागे कवणा ? ॥ ३८५ ॥
यावें = या म्हणावे (निमंत्रण)
पैं वासरुवाचा भोकसा | गाईपुढें ठेवूनि जैसा |
उगाणा घेती क्षीररसा | बुद्धिवंत ॥ ३८६ ॥
उगाणा=मोजून (येथे काढून)
तैसें यागाचेनि नांवें | जग वाऊनि हांवें |
नागविती आघवें | अहेरावारी ॥ ३८७ ॥
वाऊनि=बोलावून
ऐशा कांहीं आपुलिया | होमिती जे उजरिया |
तेणें कामिती प्राणिया | सर्वनाशु ॥ ३८८ ॥
उजरिया=उत्कर्षा(साठी)
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधम् च संश्रिताः।
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयकाः ॥ १८॥
मग पुढां भेरी निशाण | लाउनी ते दीक्षितपण |
जगीं फोकारिती आण | वावो वावो ॥ ३८९ ॥
फोकारिती=मिरवती वावो=व्यर्थ
तेव्हां महत्त्वें तेणें अधमा | गर्वा चढे महिमा |
जैसे लेवे दिधले तमा | काजळाचे ॥ ३९० ॥
लेवे=लेप थर
तैसें मौढ्य घणावे | औद्धत्य उंचावे |
अहंकारु दुणावे | अविवेकुही ॥ ३९१ ॥
मग दुजयाची भाष | नुरवावया निःशेष |
बळीयेपणा अधिक | होय बळ ॥ ३९२ ॥
ऐसा अहंकार बळा | जालिया एकवळा |
दर्पसागरु मर्यादवेळा | सांडूनि उते ॥ ३९३ ॥
मग वोसंडिलेनि दर्पें | कामाही पित्त कुरुपे |
तया धगीं सैंघ पळिपे | क्रोधाग्नि तो ॥ ३९४ ॥
कुरुपे=प्रकोप होणे
सैंघ=एक सारखा पळिपे=पेटतो
तेथ उन्हाळा आगी खरमरा | तेलातुपाचिया कोठारा |
लागला आणि वारा | सुटला जैसा ॥ ३९५ ॥
खरमरा=रखरखीत
तैसा अहंकारु बळा आला | दर्पु कामक्रोधीं गूढला |
या दोहींचा मेळु जाला | जयांच्या ठायीं ॥ ३९६ ॥
ते आपुलिया सवेशा | मग कोणी कोणी हिंसा |
या प्राणियांते वीरेशा | न साधती गा ? ॥ ३९७ ॥
सवेशा= स्व इच्छा
पहिलें तंव धनुर्धरा | आपुलिया मांसरुधिरा |
वेंचु करिती अभिचारा- | लागोनियां ॥ ३९८ ॥
पहिलें तंव धनुर्धरा | आपुलिया मांसरुधिरा |
वेंचु करिती अभिचारा- | लागोनियां ॥ ३९८ ॥
तेथ जाळिती जियें देहें | या माजीं जो मी आहें |
तया आत्मया मज घाये | वाजती ते ॥ ३९९ ॥
आणि अभिचारकीं तिहीं | उपद्रविजे जेतुलें कांहीं |
तेथ चैतन्य मी पाहीं | सीणु पावे ॥ ४०० ॥
आणि अभिचारावेगळें | विपायें जे अवगळें |
तया टाकिती इटाळें | पैशून्याचीं ॥ ४०१ ॥
विपायें=चुकून जे अवगळें=सुटतात
इटाळें=विटाचे तुकडे, दगड . पैशून्याचीं=दोष दृष्टी ने
सती आणि सत्पुरुख | दानशीळ याज्ञिक |
तपस्वी अलौकिक | संन्यासी जे ॥ ४०२ ॥
कां भक्त हन महात्मे | इयें माझीं निजाचीं धामें |
निर्वाळलीं होमधर्में | श्रौतादिकीं ॥ ४०३ ॥
निर्वाळलीं=चोखळ
तयां द्वेषाचेनि काळकूटें | बासटोनि |
कुबोलांचीं सदटें | सूति कांडें ॥ ४०४ ॥
बासटोनि=विष माखून तिखटें=तीक्ष्ण
सदटें =भडीमार सूति=सोडतात कांडें=बाण
तानहं द्विषतः क्रूरान् संसारेषु नराधमान्।
क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु ॥ १९॥
ऐसे आघवाचि परी | प्रवर्तले माझ्या वैरी |
तयां पापियां जें मी करीं | तें आइक पां ॥ ४०५ ॥
सदटें =भडीमार सूति=सोडतात कांडें=बाण
तानहं द्विषतः क्रूरान् संसारेषु नराधमान्।
क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु ॥ १९॥
ऐसे आघवाचि परी | प्रवर्तले माझ्या वैरी |
तयां पापियां जें मी करीं | तें आइक पां ॥ ४०५ ॥
तरी मनुष्यदेहाचा तागा | घेऊनि रुसती जे जगा |
ते पदवी हिरोनि पैं गा | ऐसे ठेवीं ॥ ४०६ ॥
तागा=वस्त्र आधार
जे क्लेशगांवींचा उकरडा | भवपुरींचा पानवडा |
ते तमोयोनि तयां मूढां | वृत्तीचि दें ॥ ४०७ ॥
पानवडा=घान पाण्याचे डबके
मग आहाराचेनि नांवें | तृणही जेथ नुगवे |
ते व्याघ्र वृश्चिक आडवे | तैसिये करीं ॥ ४०८ ॥
तेथ क्षुधादुःखें बहुतें | तोडूनि खाती आपणयातें |
मरमरों मागुतें | होतचि असती ॥ ४०९ ॥
कां आपुला गरळजाळीं | जळिती आंगाची पेंदळी |
ते सर्पचि करीं बिळीं | निरुंधला ॥ ४१० ॥
पेंदळी=वेटोळे निरुंधला=अडकला
परी घेतला श्वासु घापे | येतुलेनही मापें |
विसांवा तयां नाटोपे | दुर्जनांसी ॥ ४११ ॥
घापे =सोडला
ऐसेनि कल्पांचिया कोडी | गणितांही संख्या थोडी |
तेतुला वेळु न काढी | क्लेशौनि तयां ॥ ४१२ ॥
तरी तयांसी जेथ जाणें | तेथिंचें हें पहिलें पेणें |
तें पावोनि येरें दारुणें | न होती दुःखें ॥ ४१३ ॥
पेणें=मुक्काम
आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि।
मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम् ॥ २०॥
हा ठायवरी | संपत्ति ते आसुरी |
अधोगती अवधारीं | जोडिली तिहीं ॥ ४१४ ॥
पाठीं व्याघ्रादि तामसा | योनी तो अळुमाळु ऐसा |
देहाधाराचा उसासा | आथी जोही ॥ ४१५ ॥
अळुमाळु=थोडासा उसासा=विश्रांती जोही=मिळे
तोही मी वोल्हावा हिरें | मग तमचि होती एकसरें |
जेथे गेलें आंधारें | काळवंडैजे ॥ ४१६ ॥
अंधारही काळवंडतो
जयांची पापा चिळसी | नरक घेती विवसी |
शीण जाय मूर्च्छी | सिणें जेणें ॥ ४१७ ॥
चिळसी=घृणा विवसी=भय
मळु जेणें मैळे | तापु जेणें पोळे |
जयाचेनि नांवें सळे | महाभय ॥ ४१८ ॥
सळे=घाबरे
पापा जयाचा कंटाळा | उपजे अमंगळ अमंगळा |
विटाळुही विटाळा | बिहे जया ॥ ४१९ ॥
ऐसें विश्वाचेया वोखटेया | अधम जे धनंजया |
तें ते होती भोगूनियां | तामसा योनी ॥ ४२० ॥
अहा सांगतां वाचा रडे | आठवितां मन खिरडे |
कटारे मूर्खीं केवढे | जोडिले निरय ॥ ४२१ ॥
खिरडे=मागे सरे कटारे=अरेरे
कायिसया ते आसुर | संपत्ति पोषिती वाउर |
जिया दिधलें घोर | पतन ऐसें ॥ ४२२ ॥
वाउर=व्यर्थ
म्हणौनि तुवां धनुर्धरा | नोहावें गा तिया मोहरा |
जेउता वासु आसुरा | संपत्तिवंता ॥ ४२३ ॥
आणि दंभादि दोष साही | हे संपूर्ण जयांच्या ठायीं |
ते त्यजावे हें काई | म्हणों कीर ? ॥ ४२४ ॥
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत् त्रयं त्यजेत् ॥ २१॥
परी काम क्रोध लोभ | या तिहींचेंही थोंब |
थांवे तेथें अशुभ | पिकलें जाण ॥ ४२५ ॥
थोंब=प्रस्थ थांवे=वाढे
सर्व दुःखां आपुलिया | दर्शना धनंजया |
पाढाऊ हे भलतया | दिधलें आहाती ॥ ४२६ ॥
पाढाऊ=वाटाड्या
कां पापियां नरकभोगीं | सुवावयालागीं जगीं |
पातकांची दाटुगी | सभाचि हे ॥ ४२७ ॥
सुवावयालागीं=घालण्यासाठी
ते रौरव गा तंवचिवरी | आइकिजती पटांतरीं |
जंव हे तिन्ही अंतरीं | उठती ना ॥ ४२८ ॥
पटांतरीं=आडपडदा
अपाय तिहीं आसलग | यातना इहीं सवंग |
हाणी हाणी नोहे हे तिघ | हेचि हाणी ॥ ४२९ ॥
आसलग=प्राप्ती सवंग=स्वस्त
काय बहु बोलों सुभटा | सांगितलिया निकृष्टा |
नरकाचा दारवंटा | त्रिशंकु हा ॥ ४३० ॥
या कामक्रोधलोभां- | माजीं जीवें जो होय उभा |
तो निरयपुरीची सभा | सन्मानु पावे ॥ ४३१ ॥
म्हणौनि पुढत पुढतीं किरीटी | हे कामादि दोष त्रिपुटी |
त्यजावींचि गा वोखटी | आघवा विषयीं ॥ ४३२ ॥
by dr. vikrant tikone